
2020-02-25T06:43:11
कुंजल -कुंजल संस्कृत शब्द कुंजर से निकला है जिसका मतलब होता है हाथी। -इस योग क्रिया को गजकरणी या वमनधौति भी कहते हैं। जिस तरह से हाथी अपनी सूंड़ से पानी खींचता है और उसे सूंड़ से ही बाहर निकालता है और इस प्रकार शरीर को सभी रोगों से मुक्त करता है। -इसी तरह जो भी शरीर के भीतर गया है, उसे बाहर निकालकर कोई भी व्यक्ति अपने शरीर को सभी प्रकार के रोगों से मुक्त रख सकता है। -कुंजल क्रिया से व्यक्ति अपने शरीर को उसी प्रकार साफ कर सकता है, -इसे वमनधौति भी कहा जाता है। वमन का अर्थ है उल्टी करना। इसमें पित्त तथा श्लेष्म की अधिकता दूर करने के लिए अर्थात् उलटी की जाती है। Kunjal steps: सबसे पहले आप गुनगुने नमकीन पानी का जग अपने पास रखें और हो सके तो साफ कपड़ा से इसको छान लें। हाथ को अच्छी तरह से धोलें और ध्यान रखें कि नाखून कटे हों। कागासन में बैठें और हाथों को घुटनों पर रख लें। इसी स्थिति में बैठकर अपनी क्षमता के अनुसार लगातार 4-5 गिलास गुनगुना नमकीन पानी पी लें। अब आप खड़े हो जाएं और दोनों पैर आपस में जोड़ें तथा आगे को झुक जाएं।बायां हाथ पेट पर रखें। दायें हाथ की तर्जनी और मध्यमा अंगुलियां गले में डालें ऊपरी पाचन मार्ग को सहलाएं। जल बाहर आना आरंभ हो जाएगा। जैसे ही जल बाहर आना आरंभ हो और जब तक लगातार मुंह से निकलता रहे, अंगुलियों को मुंह से बाहर रखें। जल आना बंद हो जाए तो यही क्रिया दोहराएं। यदि अंगुलियां चलाने के बाद भी जल बाहर नहीं आए तो इसका अर्थ है कि सारा जल बाहर निकाल दिया गया है। Kunjal benefits: 1.इसके अभ्यास से ऊपरी पाचन तंत्र तथा श्वसन तंत्र की सफाई हो जाती है। 2. इसके अभ्यास से शरीर से विषैले कचरे निकलने में मदद मिलती है। 3.पेट को नियमित रूप से धोने के कारण स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। 4.माना जाता है कि पेट में लगभग 3.5 करोड़ ग्रंथियां होती हैं और दिन भर कई लीटर पाचन रस का स्राव करती हैं। इस क्रिया से उन ग्रंथियों को अधिक क्षमता से कार्य करने में सहायता मिलती है। 5.कुंजल के दौरान होने वाले शक्तिशाली संकुचन से पेट की पेशियां सुदृढ़ होती हैं, पेट बेहतर तरीके से कार्य करता है तथा शरीर का आंतरिक तापमान बढ़ता है। 6.इससे अभ्यास से अतिरिक्त वसा नष्ट होती है और वजन को घटाने में मदद मिलती हैं। 7.कुंजल शरीर से अशुद्धियों को दूर करता है। 8.पेट की अम्लीयता को कम करने में यह बहुत अहम भूमिका निभाता है। 9.श्वास में दुर्गंध, बलगम आदि को दूर करता है। 10.कुंजल से उन व्यक्तियों को बहुत लाभ होता है, जिन्हें मतली होती है। इसका अर्थ है कि पित्त का अधिक स्राव हो रहा है, जो आंत से पेट में पहुंचकर मुंह को कड़वा कर देता है और इससे उलटी करने की इच्छा हो रही है। 11.कुंजल से दमा के रोगियों को लाभ मिलता है। दमा का दौरा पड़ते समय भी कुंजल करना सुरक्षित होता है। 12.शीत जलवायु में रहने वालों को इसे प्राय प्रैक्टिस करनी चाहिए। Kunjal precautions: जब आप पानी को बाहर निकालते हैं तो सतर्कतापूर्वक आधी झुकी स्थिति में बने रहें। खड़े होकर जल का सेवन नहीं करनी चाहिए। गुनगुने जल का ही सेवन करना चाहिए, बहुत गर्म अथवा बहुत ठंडे जल का नहीं। इस क्रिया के दो घंटे बाद ही स्नान करना चाहिए। हृदय रोग अथवा रक्तचाप के रोगियों को विशेषज्ञ के निर्देशन के बिना ऐसा नहीं करना चाहिए।